सत्य सहज है
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आँखों मे आंसू लेकर,
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आँखों मे आंसू लेकर
बिटिया मयके को छोड़ रही,
कुछ मीठी ताजी यादें,
दिल के झरोखों मे सजा ,,,
आँखों
मे आंसू लेकर,
बिटिया मयके को छोड़ रही,
मा के आंचल का हर गुण,
गुण -गुण से आज वह जोड़ रही,
आँखों
मे आंसू लेकर,
बिटिया मयके को छोड़ रही,
बाबुल के आँगन की यादें ,
गुजरें जमाने की दास्तां,,
बेटी आज निभाय रही,,,,
बाबुल सर न झुक पाये,
सर का वह मान बढ़ाय रही है ,,,
प्रेम ,नेह, सम्मान की डोली
मैय्या के आँखों की पुतली
बाबुल के आँगण की मणिका ,
आज पिया घर जाय रही है,
सीता , सावित्री के गुण का
मैय्या सीख -सिखाय रही है,
आँखों
मे आंसू लेकर
, बिटिया मयके से जाय रही है ,
ससुराल की रौनक बन बेटी,
मुस्कान बिखेरो गुलशन मे,,,,
बाबुल के आंगण की मणिका,
आज पिया घर जाय रही है
आँखों
मे आंसू लेकर,
बिटिया मयके को छोड़ रही
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