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रिश्ते

सत्य सहज है
सत्य सहज है
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रिश्ते कितने नाजुक होते रेशम जैसे,

मन भी बहके यारा देखे तेरे जैसे,,,,

कवियों ने शब्दों मे पिरोया, जीवन जैसा हार ,

रिश्ते कितने नाजुक होते रेशम जैसे यार ,

कभी -कभी यह रूठ है जाता, देख तेरा यह हाल ,,

कच्चे धागे कच्चे होते मय भी जाना यार ,,

गफलत कभी -कभी होते हैं जीवन के नव मोड़,,

रिश्ते कितने नाजुक होते रेशम जैसे यार ,,,,

कभी- कभी दुविधा मे फंस कर मन होता लाचार,

यारा कर लो पुन; विचार ,,,,

प्रेम के निर्मल धागे को मत तोडो चटकाय , ,

शंका दिल मे रह जाता है मन होता असहाय ,,,,

जीवन के ए मोड़ बड़े अनसुलझे होते,,,

गर्व ,मान, सम्मान की चादर, ढ़क लेते हर छोर,,,,,

मन मेरा नित व्यथित होत है, देख के ऐसे मोड़,,,,

यारा कुछ तो दिल मे रख लो, बड़ा सरल है तोड,,,,,

राज कहे सब बात भूल कर,, प्रेम की बाँध लो डोर

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