Menu
blogid : 14867 postid : 729571

मोदी से दिल्ली दूर नहीं

सत्य सहज है
सत्य सहज है
  • 50 Posts
  • 38 Comments

तेजी से बदल रहे भारतीय राजनैतिक परिदृश्य पर गौर किया जाय तब मोदी दिल्ली के लिये अपरिहार्य हैं , जन -जन का है एक ही नारा , मोदी भारत को है प्यारा ,,,,, आज मीडिया से लेकर जन -जन मे मोदी का बोलबाला है उत्तर भारत मे मोदी लहर अन्य विरोधी राजनैतिक पार्टी के लिये कहर सी बन गयी है , राजनैतिक घटक गठबंधन की रस्साकसी मे लगे है ,,,,,बढ़ती हुई मंहगाई ,बेरोजगारी ,कृषकों की आत्महत्या , शिक्षा का गिरता हुआ स्तर , भ्रष्टाचार और व्यभिचार ,,जवानों के साथ न इंसाफी ,,, लालबहादुर शास्त्री का नारा था , जय जवान जय किसान , , आज उसी कांग्रेस के राज्य मे किसान आत्महत्या कर रहे हैं ,,,,,,,भ्रष्टाचार का बोलबाला है , विदेश मे जमा काला धन की वापसी राजनैतिक विफलता का कारक बन चुका है , मेरा भारत देश , न जाने कितने बे ईमान ,,,,, फिर भी मेरा देश महान ,,,,,    आज की राजनीति का स्वरूप बदल चुका है जिसका वास्तविकता से परे है , जन -जन को दिकभ्रमित कर रहा है ठीक उसी प्रकार से जैसे ====कागज के घोड़े सवार की मंजिल तय नहीं का सकते , कागज के फूल खुशबू नहीं दे सकते ,राजनीति एक ऐसाआखाड़ा है जहाँ वोट और नोट की प्रतिस्पर्धा उनके मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है, उससे कोई भी दल नहीं बच सकता , आज राजनीति मे स्वार्थ का बोलबाला है , टिकट ना मिलना , या सही जगह [मांगे गये ] से टिकट न मिलना राजनैतिक प्रतिस्पर्धा सबसे बड़ी बाधा है , ज्यादातर सीनीयर [वरिष्ठ] कार्यकर्ता टिकट और स्थान अपने मान का पर्याय समझ लेते हैं दल [ पार्टी ] की अपेक्षा अपने हित को सर्वोपरि मान बैठते हैं ,,,, राजनीति प्रतिद्वंदिता का वह मैदान है जहां स्वहिताय का बोलबाला रहता है , कभी -कभी प्रमुख नेता भी पार्टी के हाशिये पर आ जाते हैं , राजनैतिक युद्धय मे सब जायज होता है , मनुस्मृति मे कहा गया है – मत्स्य शासन प्रणाली मे बड़ी मछली छोटी मछली को निगल जाती है ,, वक्त का हर शय ग़ुलाम ,,,, समय की नजाकत और भाग्य की दशा को कोई नहीं बदल सकता , ग्रह की दशाएं और मनुष्य का भाग्य कोई नहीं जान सकता ,,,, आज मोदी चाय , नमो-नमो , हर-हर मोदी का शंखनाद जन -जन मे गूँज रहा है ,,,

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply