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रंग में भंग चढ़ा रग में

सत्य सहज है
सत्य सहज है
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इंद्रधनुष के   सतरंगी   रंगों    को  ,

नयी    बहार   मिले ,

झूम  कर  भीगे   तन   मन  जन ,

होली   की    खुशी अपार   मिले ,,/

चाहत   के   फूल   खिले   दिल    में ,

रंगों    का  नव   उन्माद    भरे ,

चाहत   हो  ऐसी   अलबेली;

पिचकारी   से    रंग   की    होली ,

मदन   देख    मन   में    मुस्काये ,

हम   भी    खेलेंगे    होली ,

लाल गुलाल   अबीर   फुहारा ,

बृंदाबन   जन -जन   को  न्यारा ,

लठ्ठ  मार    के   होली  न्यारी ,

मन   में    लाल    गुलाल    पिचकारी ,

मथुरा बृंदावन   में   खेलें ,

राधा -कृष्ण   भी   होली ,

रिद्धि -सिद्धि   भी    होली खेलें ,

गणपति  को   रंग   रंग   में  होली ,

आप   भी   मन   से  खेलो    होली ,

भरें   गणेश    जी  आपकी   झोली ,

रग रग      में खुशी रंग     सी      जाए,

चाहत   के   फूल   खिले   दिल    में ,

रंगों    का  नव   उन्माद    भरे ,

सावन   सी   हरियाली    रहे ,

भादों   सी   बरसात ,

क्वार  मास दशहरा    रहे ,

सदा   विजय   प्रतीक ,

कार्तिक   में   धन   झूम   के   बरषे ,

दीपावली  माँ   लक्ष्मी    हरषे  ,

अगहन  पूस , माघ की   ठंडी,

फागुन   खुशियों  की   बरसात ,

कृषक   खुशी  मे झूम   उठे ,

खलियानों   में गूँज   उठे

, सदा   ही   आये   फागुन   मास ,

रंगों  की होये   बरसात ,,,

झूम  कर  भीगे   तन   मन  जन ,

होली   की    खुशी अपार   मिले ,,/

[२]

रंग   में  भंग   चढ़ा   रग   में ,

चहु   ओर दिखे    अंबर   नीला ,

मन  मयूर तरंग   रंग ,

बिहंग   कोकिल खरभरे ,

गजमुक्ता  मदमस्त   लगे

गज ,

मानों   भंग [भाँग ]   तरंग   उठायो ,

गर्जन   करता   सिंह   कहे ,

हम  भी   खेलेंगे    होली ,

फागुन   का   है   माह ,

लगे  सब   झूम    झुमैया,

मीन  और   दादुर   भी   बोले

आ -रा   रा  ई   या ,

हम  भी   बोले   प्रेम   से भाईया

होली    हअईया

राजकिशोर मिश्रा [राज] 15/3/14

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