Menu
blogid : 14867 postid : 714698

मयख़ाना

सत्य सहज है
सत्य सहज है
  • 50 Posts
  • 38 Comments

एक सिरफिरे ने आकर पूंछ लिया मुझसे ,

आखिर लोग मय खाने मे क्यों जाते हैं,

कुछ सोचकर मैने बोल दिया =

बदलते हुये जमाने की रंगशाला है मयख़ाना ,

दुनियाँ दारी की बीमारी का निजात मयख़ाना ,

धनुर्विद्या सीखने की कला है मयख़ाना ,

भूल जाते हैं लोग अपने अतीत को ,

कुछ खुशियाँ और गम के पुष्‍प जो खिले ,

लुटा देतें हैं पुष्‍प सारे , उस नील गगन मे

बजती रही शहनाईं उस नील गगन मे ,

तभी लगी रहती है भीड़ मैने आज जाना ,

तपाक से वह बोला ,,, क्या चीज़ है मयख़ाना ,

मैने सोच कर कुछ और बताता,

=काश गुनगुनाते हुये न आता ,,,

मयख़ाना बताया आपने मेरी दुनिया बदल गयी ,

गली -गली मे शबनम सी दिखती है यह दुनिया ,

मयख़ाना के प्यार से झूठी है यह दुनियाँ,

तारे भी तार से संगीत गुनगुनाते ,,,

धीरे -धीरे दुनियाँ मे चांद नजर आते ,

अनोखा अनुभव बताया मयखाने का ,

भूल से हमने बताया रास्ता मयखाने का ,,,,



Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply