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केजरीवाल के काम करने का सलीका और उनकी तत्परता देखकर मुझे 1955 बैच के टापर आई ए एस टी . एन शेषन की कार्य करने की शैली पसंद आती है /टी एन शेषन की कार्यशैली सदैव चुनौतीपूर्ण रही , उनके कार्य सदैव संवैधानिक रक्षा के लिये तत्पर रहें हैं ,,,, अरविन्द केजरीवाल दिल्ली का तख्त ताज मिलने के बाद भी अपने कार्य को अधूरा छोड़ कर ,,,, रणछोड़ हो गये ,,, कृष्ण कालयवन के कारण युद्ध भूमि छोड़कर भाग गये ,,, केजरीवाल का हठयोग उन्हे उनके कार्य से विमुक्त कर दिया ,,,,, जाते -जाते एक संदेश दे गये ==== कांग्रेस और भाजपा पर दोषारोपण उनकी हताशा थी ,,,,, राजनीति भावना से नहीं चलती ,,,,, टी .एन शेषन का कानून का संवैधानिक पालन करना राजनीति के गलियारों मे सर दर्द बन गया था ,,,, उनके कार्य करने का तरीका चुनौती पूर्ण रहा है ,,, चाहे वह चेन्नई मे यातायात आयुक्त का रहे हो या 1990 के दशक के मुख्य निर्वाचन आयुक्त का ,,,,, कानून के साथ आंख मिचोली करने वाले कभी भी उन्हे पसंद नहीं थे ,,,, वे सदैव अपने कर्तव्य और और भारतीय कानून व्यवस्था का सतत पालन करते रहें,,,,, टी एन शेषन के पहले भारतीय राजनीति मे लोकतंत्र कराह रहा था ,, जिसकी लाठी उसी की भैंस की कहावत चरितार्थ होती थी ,, टी एन शेषन के पूर्व किसी आयुक्त ने अपने अधिकार का पूर्णतः पालन करने का प्रयास नहीं किया ,,,,जब टी एन शेषन ने जब अपने कर्तव्य और अधिकार की संवैधानिकता जाहिर की, तब राजनीति के गलियारों मे भूकंप सा आ गया ,,,,1990 मे मुख्य चुनाब आयुक्त बने , स्वच्छ लोकतंत्र की स्थापना के लिये चुनाव पहचान पत्र ,की पहल की ,, सरकार खर्च का बहाना बनाने का भरसक प्रयास किया ,,, टी एन शेषन ने 1जनवरी 1995 के बाद वोटर आईडी[चुनाव पहचान पत्र ] के वगैर चुनाव करवाने से इंकार कर दिया ,,,,शेषन को सनकी, और पागल करार दिया गया ,,,,केजरीवाल की बढ़ती हुई लोकप्रियता देखकर राजनीति मे धुरंधरों के रोंगटे खड़े हो गये ,,,, केजरीवाल ने मोदी पर सवालों की बौछार करते हुये चिट्ठी लिखकर जबाब मांगा है ,, [1] गैस के दाम बढ़ने आपके मौन का कारण क्या है ,,,,, [2] भाजपा की सरकार बनने पर मुकेश अंबानी को 4डालर प्रति यूनिट दाम देंगे या 8डालर ,,,,,के हिसाब से [3] आपके चुनाव प्रचार पर खर्च और आय के स्रोत ,, [4] स्विस बैंक मे पड़े काले धन की वापसी कैसे संभव है ,जबकि खाता धारकों के साथ अगर आपके मधुर संबंध हों ,,,,,
आज राजनैतिक परिपेक्ष मे दलगत व्यवस्था से उठकर यथार्त की बात की जाये आज भ्रष्टाचार के डंक से कोई दल अछूता नहीं है ,,, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उसके छींटे आज की राजनीति को धूमिल करते जा रहें हैं ,, वोट और नोट की राजनीति मे लोकतंत्र आज काल कवलित होता जा रहा है ,, आज भी वही मत्स्य शासन प्रणाली राजनीति मे भी लागू हो रही है ,,,,,
राजनीति के गलियारे जब सांस लेगें ,
केजरीवाल तुम्हे ए फाँस लेंगे,,,,
एडा कहकर तुम्हे बदनाम करेंगे,,,
बैठकर कुर्सी पर स्वयम् जलपान करेंगे,,,
,कल के लिये सब कुर्बान कर रहा है ,,
भारत मे नई सुबह की शुरुवात कर रहा है ,,,,
राज क्या लिखे कलम के निशाने से ,,,,
आजकल कोयल भी बोले मयखाने से ,,,
समझ नहीं आता कोयल की यह कला ,,
बदलती है नित नियम प्रेम की यह बला ,
RAJKISHOR MISHRA === 20FEBRUARY2014
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